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कविताः विदाई(वार्षिक लेखन प्रतियोगिता )


कविताःविदाई

विदाई की ओर चलता सूरज
समेट कर अपने सुनहरा आँचल

खगविहग लौटें अपने घर को
मचाते शोरगुल

थकाहारा संपूर्ण जगत
लौटा अपने घर की ओर

शक्तिशाली दिवाकर थमे तो
छा गया अंधियारा सब ओर ।

*****
सीमा..✍️🌹
©®

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5 Comments

Swati chourasia

08-Mar-2022 08:12 PM

Very nice 👌

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Dr. Arpita Agrawal

08-Mar-2022 12:38 AM

Beautiful

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Seema Priyadarshini sahay

08-Mar-2022 05:12 PM

थैंक्स🙏🌹

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Niraj Pandey

08-Mar-2022 12:31 AM

बहुत खूब👌

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Seema Priyadarshini sahay

08-Mar-2022 12:33 AM

थैंक्यू सर🌹🙏

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